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शुक्रवार, 4 जुलाई 2014

फिदरत

रंग बदलने को यहां ,कितने लोग है सारे
वादा कर  नहीं ला पाते ,वे चाँद- सितारे  //

चुटकियों में तोड़ देते हैं, लोग अग्नि के फेरे
बस, यु ही कहते रहते हैं, मैं तेरा ,तुम मेरे //

रोज बदलते है, लोग यहां कितने भेष ऐ बबन
तोड़ लेते है फूल , चाहे उजड़ जाए ये  चमन //

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