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शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

अगर रूपये पेड़ों में फलते

काश!
अगर नोट यानि रूपये
पेड़ों में फलते
तब
जब  पेड़ों में पानी
 मीठी बोली की देनी  होती //

काश !
पेड़ परोपकार की भाषा समझते
और
परोपकार  करने वालों के
पेड़ में ही रूपये फलते //

बुधवार, 20 नवंबर 2013

उठो, और फिर चल पड़ो

पत्थर हूँ मैं 
झरने की वेगमयी धारा का विरोधी
टूट जाउंगा /बिखर जाऊँगा 
यु ही घुटने नहीं टेकूंगा //

वृक्ष    हूँ
तूफानों   को   रोकता  हूँ 
मेरे फल-फूल गिर जाते है 
शाखाएं टूट जाती है 
कभ-कभी तो मैं स्वम् उखड जाता हूँ //

विपत्तियों के सामने घुटने टेकना
ज़िंदगी से हार जाना // 

सोमवार, 11 नवंबर 2013

महताब को रोना आये

आलोकित हो पथ
जब पग बढे तुम्हारा
प्रचोदित हो जलद
जब अधर हिले तुम्हारा//

महताब को रोना आये
जब घूँघट उड़े तुम्हारा
सिंधु गरजे  बार-बार
जब हिले मेखला तेरा //

प्रचोदित .. आवेशित //माहताब -- चाँद 

रविवार, 10 नवंबर 2013

दर्द

दर्द की शुरुयात
पेट दर्द से हुई थी
आँख.नाक,कान होते हुए यह दर्द
पुरे बदन में फ़ैल गया था //

ज़वानी में कदम रखा ही था  कि
भाई-बंधुओं के बीच
बना स्नेह-सौहार्द का महल टूटने लगा...
पहली बार अनुभव हुआ..
रिश्तों के टूटने का दर्द

बेरहम आफिस के कर्मचारियों ने
दौड़ाते-दौड़ाते न जाने कितने दर्द दिए

फिर साथ पढ़ने -वाली पर दिल आया
पता नहीं दिल कैसा होता है
टूट कर आवाज तो नहीं करता
पर दे जाता है
एक लाईलाज  दर्द //

शनिवार, 9 नवंबर 2013

संकल्प

अँधेरे को उजाले में बदल दूँ , ऐसा वीर बनूंगा
बिना लक्ष्य भेदे न लौटू ,  मैं ऐसा तीर बनूंगा//

हर घर के दीप में जल जाऊं , ऐसा रुई  बनूंगा
दुश्मन को अंदर तक छेद दूँ , मैं ऐसा सुई बनूंगा//

भ्रस्ट्राचार के गंध को  मिटा दूँ , मैं ऐसा सुमन बनूंगा
बहा दूँ अमन का पैगाम,   मैं ऐसा पवन  बनूंगा//

मंगलवार, 5 नवंबर 2013

पडोसी

मेरे पड़ोसी ने
अपने घर की चारदीवारी ऊँची कर ली है ..
नहीं-नहीं
कोई झगड़ा नहीं हुआ उनसे
शायद कुछ बात ऐसी है
जो हमें दिखाना नहीं चाहते //

कल छापा पड़ा था इनके घर
शक हो सकता हैं उन्हें
शायद मैंने ही इत्तिला दी होगी
विजिलेंस को //

दिमाग पर जोर डालता हूँ ..
शुरू-शुरू में कुछ झगड़ा हुआ था
नाले की पानी निकालने को लेकर
और इस बात पर भी
क्यों कर दिया
उन्होंने लाउडस्पीकर का मुंह मेरे घर की तरफ //


सच कहूं ..
पहले पडोसी रिश्तेदार से बढ़ कर लगते थे
मगर
सबसे नजदीकी दुश्मन //

आटे की गुथाई और सीमेंट कंक्रीट

मुझे कंक्रीट बनाना था
कंक्रीट -- बालू ,सीमेंट और बजरी का मिक्सचर
दिक्कत थी पानी की मात्रा का आकलन
ज्यादा पानी- कंक्रीट की शक्ति  कम
कम  पानी -तो भी कंक्रीट की शक्ति कम //

तभी मुझे याद आया ...
माँ की आटा गूथने की कला
थोडा थोडा  पानी .
.धीरे-धीरे डालना और फिर गुथना ..
मैंने भी वही   किया
धीरे-धीरे पानी मिलाते गया
अंत में अच्छी गुणवत्ता वाला कंक्रीट प्राप्त हुआ..//

अगर खुली हो मन की खिड़किया
तो काम से
सीखता है आदमी //

मेरे बारे में