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बुधवार, 29 जून 2011

सब्जी वाली हसीना


मूली से उजली देह तुम्हारी
होट हैं मानो, जैसे चुकंदर
काली मिर्च से काले केश
मुस्काती तुम अंदर ही अंदर //
बोली तेरी लाल मिरचाई
तेरा आलू सा मुस्काना
फूलगोभी सी हंसी तुम्हारी
सांसे तेरी हरी पुदीना //

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