followers

रविवार, 20 फ़रवरी 2011

नोक -झोक


नोक -झोंक है क्या
बहुत माथा-पच्ची की
आप भी उदहारण से ही समझे //

अगर पत्नी ने कहा--
मेरा जेवर पुराना हो गया है
इस बदलकर थोड़ा भारी
जेवर ले दो//


अगर आपका उत्तर है
चलो अभी चलो
सुनार की दूकान
तो ये हुई प्यार की बातें
अगर आपने गलती से कह दी
"क्या करोगी गहने लेकर
तो आपने नोक -झोंक की शुरुआत कर दी //

यानी
सकारात्मक जवाब -- प्यार
ऋणात्मक जवाब - नोक -झोंक //

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

बसंत क्या आया .....


बसंत क्या आया ...
बागों में फूल खिले
भौरों ने कर ली उनसे दोस्ती
जी भरकर मधु बनाने लगे //

बसंत क्या आया ...
बागों में मंजर लदे
कोयल ने कर ली उनसे दोस्ती
जी भर कर कूकने लगी //

बसंत आया है प्रिय!
हम क्यों बैठे है चुपचाप
आओ हम भी कर ले दोस्ती
और कर ले जी भरकर प्यार //

रैंगिंग -7

मेरी रैंगिंग ले रहे सीनिअर ने मेरे दो मित्रों से पूछा -देखो जी, तुम्हारे मित्र को H P का पांच फुल फॉर्म नहीं आ रहा है इसकी मदद करो /मेरे मित्र ने एक इजाफा किया Hard Paper बोलकर /
आज रात में सोच लेना /कल यह प्रश्न दुहराया जाएगा - यह कहते हुए सीनिअर ने हमलोगों को छोड़ दिया ।
साथ ही साथ यह भी कहा -अभीतक तुमलोगों ने मुझसे मेरा नाम नहीं पूछा , तो सुनो मेरा नाम 'अजय नायक 'है /सच में ....वह हमलोगों को नायक कम ,खलनायक ज्यादा लग रहा था / मगर खलनायक को भी दिल होता है ,उन्होनें हमलोगों को चाय और नास्ते का पैसा नही देने दिया /

शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

रैगिंग-6

सुबह हो चुकी थी /क्लास का समय दस बजे से था /नहाना धोना तो हास्टल में उपलब्ध था परन्तु अभी तक नास्ता की व्यवस्था नहीं हुई थी /नास्ते के लिए मई अपने दो मित्रों अनिल पाण्डेय और राजेश रत्नाकर के साथ चाय की दूकान पर पहुंचा /
आइये -आइये --कहकर दुकान पर खड़े सीनिअर ने कहा । प्रत्युतर में हमलोगों ने भी प्रणाम सर कहा /एक सीनिअर ने कहा --तुम ब्रह्मिन हो तो तुम्हें पूजा भी करना आता होगा /मैंने नहीं में उत्तर दिया /"अच्छा ,भौतिक विज्ञान पढ़ते हो " उन्होनें दूसरा सवाल दागा /" जी ,मैं भौतिक विज्ञान में ८१ प्रतिशत अंक लाया हूँ " इतना बोलते ही उन्होंने H P का फुल फॉर्म बोलो /
H P--horse power
H P --hindustan petrolium
H P-- harmonic progression
इसके आगे मुझे कुछ याद नहीं आ रहा था /मेरे साथ आये दो मित्रों से उधर दो सीनिअर अलग प्रश्नोत्तर कार्यक्रम चला रहे थे //

रैगिंग -5

नज़ारा देखने वाले सीनिअर की भीड़ थी । सितम्बर के महीने में थोड़ी उमस थी । नंगे बदन ठण्ड नहीं लग रही थी । प्रायः सभी लोगो की नज़ारे नीची थी । इसके पूर्व मैंने राजगीर में पूर्ण नंग के रूप में जैन -मुनियों को अपने कार्य में मस्त देखा था /

कोई रेलगाड़ी की सीटी बजाता तो छुक छुक करता /एक चक्कर करीब दो किलोमीटर का रहा होगा .दो चक्कर लगाने के बाद शरीर से पसीना आने लगा था /फिर एक सीनिअर ने कहा -बेहुदे कहीं के शर्म नहीं आती ,जाओ कपडे पहनो /मानों प्यासी धरती को जल बूंदों के रूप में मोटी मिल गई हो /

रात के करीब ग्यारह बज चूके थे । दौड़ने के कारण शरीर चिपचिपा था । खैर पंखे की हवा मिल रही थी । आँख तुरंत लग लगी /
मैं यह मान कर चल रहा था कि रैंगिंग पढाई का ही एक हिस्सा है और अपने को वातावरण में ढालने कि कोशिस में लग गया । जैसा कि बात चीत से लग राह था सीनिअरो का यह उत्पीडन कार्यक्रम करीब एक माह तक चलेगा .

शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

आओ हँस लें


बचपन भूखा
जवानी भूखी
भूखी खेत के फसलें
क्यों कहते हो
आओ हंस लें ॥

पैर भी सूखे
लव भी सूखे
और भींगी है पलकें
क्यों कहते हो
आओ हंस ले ॥

तुम्हें देखकर मन मचलता


तुम्हें देखकर मन मचलता
और मचलती मेरी कलम
बैठो पास ज़रा मुस्कुराकर
कविता लिखनी है तुम पर सनम //

आँचल तेरे छंद बनेगें
गाएगे सुर तेरे पायल
तेरे कंगन की छन-छन सुन
मेरी कविता हो गई पागल //

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

रैगिंग -4

आदरणीय सीनिअर महोदय के" एक" कहते ही हमलोगों ने ख़ुशी -ख़ुशी अपने शर्ट उतार कर कोने में डाल दिया
'दो' बोलने के साथ ही सबने अपने -अपने गंजी वनियान उतार डाला । 'तीन' बोलने के बाद सबने अपने पैंट उतार दिए । पैंट उतारने तक कोई परेशानी न थी क्योकि अमूनन इस स्थिति में लड़के लोग प्रायः रहते ही है । 'चार' जैसे ही उन्होंने बोला कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई । किसी ने अपना जांघिया नहीं उतारा ।

फिर गालियों की बौछार और गालियाँ भी वैसी जैसे गाँव में anpadh देते है । अब क्या था किसे गाली और थप्पड़ खाना था । सब के सब दो से तीन मिनट के बीच नंगे हो चूके थे । इज्ज़त इसलिए बची थी कि यह फिल्म हास्टल के अन्दर के बरामदे पर फिल्माई जा रही थी जहाँ रोशनी मात्र जीरो वाट के बल्व से आ रही थी । हास्टल के बाहर बड़ा सा मैदान था और किनारे -किनारे कोलतार की सडकें । हास्टल में रहने वाले सीनिअर के अलावे इस नयूड फिल्म का और कोई चस्मदिद गबाह नहीं था ।

फिर सीनिअर द्वारा हर एक दुसरे के अपने आगेवाले मित्र के कंधों पर हाथ देने का आदेश दिया गया । फिर सबसे खड़े लड़के को रेलगाड़ी की छूक - छुक आवाज निकालते हुए हास्टल के बाहर लाया गया ।

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

ऐसा है मेरे सपनों का बिहार


मैं जल संसाधन विभाग बिहार सरकार में सहायक अभियंता हूँ । २२ वर्षों के सेवा काल में मैंने अनुभव किया कि
बिहार की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि को चौपट करने का काम बाढ़ का है । पलायन का दंश और भौतिक विकास, बाढ़ से सीधे तौर पर जुड़े है । आज लगभग ३३२८ किलो मीटर लम्बे तटबंध के बाद भी हम यह कहने की स्थिति में नहीं है कि हमें बढ़ से मुक्ति मिल गई है ।

आजादी के ६२ वर्षों के बाद और केन्द्रीय जल आयोग के गठन के बाद भी हम नेपाल जैसे छोटे देश ,जिसे हमारे देश से नमक के साथ -साथ पेट्रोल डीजल भी भेजा जाता है ,को बाँध बनाने के लिए राजी नहीं कर सके । बिहार के सौवें साल के संकल्प के रूप में हमारे मुख्यमंत्री समेत अन्य मंत्री और सरकारी पदाधिकारियों को यह संकल्प लेना होगा कि हम बिहारवासी स्वं नेपाल से रिश्ते सुधार कर बाढ़ को रोकने में कारगर होंगे । जैसे ही बाढ़ की समस्या से हमें निजाद मिलेगी ,बिहार का विकास का कृषि विकास चरम पर होगा और हम खाद्य उदपाद में मामले में हरियाना ,पंजाब ,उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को मात दे देंगे।

साथ -साथ हमें हर खेत तक पानी पहुंचाने का भी संकल्प लेना होगा । मैं अपने विचार से बिहार की शस्य श्यामला अन्न उगलने वाली धरती पर कृषि आधारित फैक्ट्री को छोड़कर अन्य क्षेत्र के फैक्ट्री लगाने के पक्ष में नहीं हूँ । अगर ऐसा होता है तो देश से ही नहीं , विदेशों से भी लोग आने वाले वर्षों में शुद्ध वायु की खोज में बिहार का पर्यटन करने आयेगे । जय बिहार जय भारत


बबन पाण्डेय
कौटिल्य नगर
पोस्ट शास्त्री नगर
पटना -23

भारतीय वकील


सत्य की मैं टांग खीचता
झूठ को ताज पहनाता हूँ
काला धन को भी मैं
उजला कर दिखलाता हूँ
औरत के आंसू न पोछू
लुट लेता हूँ उसका शील
मैं हूँ भारत का वकील //

बात -बात पर खिचू
मैं कानून का बाल
तर्कों का छुरा मै घोपू
पुछू बेतुका सवाल
उन चोटों को मैं नहीं देखता
जिसने तोड़ा आपका दिल
मैं हूँ ,भारतीय वकील //

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

रैगिंग --3

दुसरे दिन सुबह मैं दस बजे हास्टल पहुँच गया था /एक रूम में तीन लडकों के लिए जगह थी /हम तीनों जने पहुँच चुके थे /आज रात होने वाली उत्पीडन कार्य अर्थात रैंगिंग के विषय में सोच -सोच कर हम डरे हुए थे /शाम आठ बजे से मेस में खाना मिलना शुरू हो गया था /थके होने के कारण हम सभी बिस्तर पर अपना देह सीधा करना चाहते थे /

रात का खाना खाकर जैसे ही रूम में दाखिल हुए कि होस्टल के वार्ड -सर्वेंट ने बताया कि सभी लोगो को हास्टल न० १ के अंदर लान में जामा होना है /नहीं जाने पर पिटाई भी होगी / वार्ड सर्वेंट से पूछने पर वह बताया कि आप लोगो को नंगा कर दौड़ाया जाएगा /सेकेण्ड ईयर के छात्र हमलोगों की छाती पर मूंग दलने की तैय्यारी में थे / फर्स्ट इयर के सभी छात्र ..चाहे वो सिविल के हों,या मैकेनिकल के ..पांच मिनट के अंदर हास्टल न ० १ पहुँच चुके थे /

एक सीनिअर की आवाज आई - प्रथम वर्ष में आपलोगों का स्वागत है आपलोगों से परिचय का सत्र अब शुरू होने ही वाला है .आप सब एक लाइन में खड़े हो जाए /जब एक बोलू तो सब लड़के अपना शर्ट उतार देंगे ...दो बोलू तो बनियान तीन बोलू तो पैंट और चार बोलू तो अपना जाघिया निकल देंगे /

रैंगिंग -2

हालांकि ऐसा करने में मुझे कोई संकोच नहीं हो रहा था परन्तु अनजान जगह मैं सूर्यास्त से पहले पहुँच जाना चाहता था ,इसलिए खीझ आ रही थी /मैं अपना परिचय मेढक की तरह उछल -उछल कर दे रहा था /कोई २० बीस मिनट हुए होंगें करीब ५० लोगों का घेरा बन चूका था /एक दबाव मेरे ऊपर बढ़ता जा रहा था ,लग रहा था मानो भीड़ को चिर कर भाग जाऊ ,परन्तु उस उम्र में और समय की नजाकत को देखते हुए ऐसा करना मेरे लिए संभव नहीं था /

उछल -उछल कर परिचय देने के क्रम में मैं थक चूका था और अब मैं सचमुच का रोने लगा था /भीड़ में से शायद किसी को दया आई /उसने कहा - छोडो जाने दो बेचारे को हास्टल में ही तो रहेगा /अब वह छात्र जो मेरे सीनियर थे ,मेरे भगवान् बन चूके थे /उनका यह वचन मानो मेरे लिए समुद्र की लहरों में गोता खाने के क्रम में एक लाईफ जैकेट पहन लेने जैसा था /

मैं वापस कतरास गढ़ लौट रहा रहा था /मैं जिनके यहाँ ठहरा था उनका देर से आने का कारण पूछना लाज़मी था /
वे वानिया जाती के थे,वे व्यापार से जुड़े थे /रैंगिंग क्या होती है इसके बारे में न तो उन्होनें सुना होगा और न देखा होगा ..ऐसा ख्याल मेरे मन में आया /अतः मुझ पर क्या बीती ,ईसका दुखड़ा रोने से कोई फायदा नहीं होने वाला था /कबीर की चौपाई याद आ गई
"मन की दुखड़ा मन ही रखो गोय
सुन ईटलहिये लोग सब ,बाँट न लिहें कोय "
मैं चुप ही रहा / कल होने वाले घटना क्रम के बारे में सोच-सोच कर आंखों से नींद गायब थी /

रैगिंग --1

सितम्बर १९८१ ....आज मुझे एडमिशन के लिए जाना था उस संस्थान में , जो इंजीनिअर पैदा करते है /मैट्रिक की परीक्षा दी थी, उसी समय पिताजी के कृषि कार्यालय गया में कार्य करनेवाले उनके मित्र ने मेरे हाथ की लकीरों को देखकर कहा था कि तुम टेक्नीकल लाइन में जाओगे /शायद तब मैं उनका आशय समझ नहीं पाया था /

मैं धनबाद से थोड़ी ही दूर कतरासगढ़ में एक परिचित के यहाँ रुका था /एक घंटे का रास्ता तय कर संस्थान में आया /मुझे शाम चार बजे तक लौट भी जाना था ..क्योकि जगह अनजान थी और पिता जी आदेश के अनुसार मुझे लौट भी जाना था /एडमीशन के बाद हास्टल भी ऐलोट कर दिया गया / मुझे जाने की जल्दी थी तथा दुसरे दिन पूरा सामन लेकर पुनः आना भी था /
हमारी आँखें अपरिचितों की भाषा तुरंत पढ़ लेती है /गेट से निकलते ही एक व्यक्ति ने रोका /पूछा - एडमिशन हो गया ना / मैंने स्वीकृति में अपना सर हिलाया /फिर वह व्यक्ति थोड़ी दूर ले जाकर अपना परिचय देने को कहा /मैंने सीधी भाषा में अपना नाम ,पिता का नाम ,ग्राम ,पोस्ट जिला वैसी ही बता दिया ...जैसा गावों में बच्चो को सिखाया जाता है /उस व्यक्ति ने तल्ख़ आवाज में कहा - मैं तुम्हारा सीनिअर हूँ जो कहता हूँ करते चलो ...अपना हाथ कमर पर रखो तथा उछल -उछल कर अपना परिचय अंग्रेजी में दो /(जारी )

सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

प्रकृति के रिश्ते



ये पेड़ ...
जो नर्म पत्तो
और खिलखिलाते फूलों से लदी हैं
नंगेपन का एहसास झेला है
पतझड़ में //

ये माँ ....
जो बच्चो के साथ
खिलखिला रही है
प्रसव की पीड़ा झेली है //

ये किसान ...
जो आज लहलहाती फसलें
काट रहा है
कड़े धूप की जलन महसूस की है //

बड़ा ही सीधा सम्बन्ध है
सुख -दुःख के बीच //

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

लड़की उवाच


लड़की उबाच .....
प्रिय ! तुम व्यर्थ में चिंतित हो
क्या कर लेंगीं
सूर्य की पराबैगनी किरणें
मेरे गोरे वदन को
क्रीम और लोशन किसलिए है //

बहुत दिनों तक
नारी सावत्री बनी रही
कपड़ों से ढंकी रही
विटामिन डी की कमी से
हड्डियां कमजोर हो गयी //

अब नया ज़माना आया है
रोम-रोम में
वासंती वयार बहने दो
भागमभाग में थोडा सा ही सही
काम का खुमार तो जागने दो //

अब खुले वदन पर
बेख़ौफ़ पड़ती है सूर्य किरणे
मुझे मिलती है विटामिन डी
और कवियों को मिलती है
सौन्दर्य की लड़ी //

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

तकिया


तकिया ....
सिरहाने से लगी
माथे को सहारा देती
रुई से भरी
नर्म और मुलायम
छोटी सी वस्तु //
नींद नहीं आती
तकिये के बिना
जितनी अच्छी तकिया
उतनी स्वस्थ नींद //

आओ प्रिय !
तुम मुझे,अपनी बाहों का तकिया दो
मैं तुम्हे अपनी बाहों का
ताकि इस भागमभाग में
गुजार लें दो हसीन पल //

मेरे बारे में