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शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

झरना

श्वेत धवल सी ओ झरना
जीवन मेरा सहज कर देना
कैसे तुम वेगमय हो
इसका राज मुझे बतला देना .... ॥

सब कहते है ऊपर जाओ
पर तुम नीचे क्यों आती हो
क्यों अपने साथ -साथ
पथ्थरो पर कहर बरपाती हो ॥

जीवों के तुम तृप्तिदायक
माना , संगीत तुम्हारा है पायल
पर , अपने थपेड़ों से तुमने
वृक्षों को क्यों कर दिया घायल ॥

भर बरसात उछलती हो तुम
पक्षियो जैसी साल भर नहीं कूकती
गर्मियों में जब हलक हो आतुर
उसी समय तुम क्यों सूखती ॥

एक बात मानोगे मेरी
अपनी उर्जा बचा कर रखना
शक्तिहीन हो गए है जो
उनको तुम संभालकर रखना ॥

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