followers

शुक्रवार, 18 जून 2010

मेरी जाति मेरी पूंजी है

"मेरी जाति के लोग
मेरी पूंजी है
हर समय
हर मदद को तत्पर रहेगे " ॥
ऐसा मेरा मानना था ...

पर जब
रिश्तों की बात चली
जाति वाले ही
मेरी सारी जमा पूंजी
हस्तांतरण को आमदा हो गए ॥

ऊपर से यह तुर्रा
"घी दाल में ही गिरेगा "
------बबन पाण्डेय

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मेरे बारे में